जब लोग जुदा हो जाते हैं ,
सब एहद -ऐ-वफ़ा हो जाते हैं ,,
जब नियत मैं फतूर सा हो ,
सब अमल गुनाह हो जाते हैं ,
जब तेरे बारे मैं सोचते हैं ,
सब लफ्ज़ दुआ हो जाते हैं ,,
जब ग़ुरबत दर पे दस्तक दे ,
सब यार खफा हो जाते हैं ,,
जब वक़्त दिखता है आँखें ,
सुल्तान गधे हो जाते हैं ,,
तू जब भी मेरे साथ न हो ,
तेहवार सजा हो जाते हैं ,,
जब नफरत लफ़्ज़ों मैं उतरे ,
तब अपने जुदा हो जाते हैं ,,
ये दुनिया है ऐ मेरे दोस्त"फरीद",
यहाँ इन्सान खुदा हो जाते हैं ...
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