न बादल होता न बरसात होती,
न बादल होता न बरसात होती,
दिन अगर न होता न रात होती,,
गम ही न होता अगर जिंदगी में,
बहार से भी न मुलाक़ात होती,,
नए लोगों की जो आमद न होती,
रंगों से कैसे फिर मुलाक़ात होती,,
लफ्ज़ ख़ूबसूरत लिखने न आते,
मुहब्बत में हमें फिर मात होती,,
अच्छा है रही न कोई भी तलब,
मिटती हुई उमीदें-हालात होती,,
खुशबु-ऐ-हिना उड़कर आई थी,
मिल जाती कुछ और बात होती,,
जुर्म जिसका था सजा उसे मिलती,
हुज्ज़त की न कोई बात होती,,
"फरीद" अंगड़ाइयों से बदन टूट जाता,
बरसात की अगर यह रात होती ...
No comments:
Post a Comment