मौसम कभी मुक़द्दर को मनाने में लगे हैं, मुद्दत से हम खुद को बचाने में लगे हैं,, कुँए का पानी रास आया नहीं जिनको, वो "फरीद" गाँव छोड़ के शहर जाने में लगे हैं ...
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