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Sunday 15 January 2012


तेरे ग़म के पनाह में अर्से बिते

तेरे ग़म के पनाह में अर्से बिते,
आरजू के गुनाह में अर्से बिते,,


i may be alone but never lonely
अब तो तन्हाई है पैरहम दिल की,


सपनों को दारगाह में अर्से बिते,,

कुछ तो बिते हुए वक्त का तकाज़ा है,
कुछ तो राहों ने शौकया नवाजा है,,

जब से सपनों में तेरा आना छुटा,
नींद से मुलाक़ात के अर्से बिते,,

बिते हुए लम्हों से शिकवा नहीं,
मिल जाए थोड़ा चैन ये रवायत नही,,

मेरे टुकडो में अपनी खुशी ढूँढो ज़रा
"फरीद" बिखरे इन्हे फुटपाथ पे अर्से बिते …

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