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Thursday, 12 January 2012


हर तरफ आजकल गम ही गम है !


हर तरफ आजकल गम ही गम है !
शेन कितना भी कम ही कम है !!

एक अरसे से हमें दीखें नहीं !
बेखबर हमसे पत्थर के सनम है !!

पहलू -ए- गैर में नजर झुकना !
बेहयाई में लगा कुछ शरम है !!

सोच लेना वो मुन्तजिर है मेरे !
दिल बहल जायगा उम्दा वहम है !!

अब भी बाकी है यादें दिल में !
अपनी उल्फत में अभी तक दम है !!

हक हुआ इश्क का अदा "फरीद"' !
वेवफा तुम हो बेखबर हम है !!

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