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Sunday, 15 January 2012


मैंने तेरे नाम चाहतें लिख दी

मैंने तेरे नाम चाहतें लिख दी,
आँखों की तमाम हसरतें लिख दी,,

रंग जो हवा में बिखर गये थे,
ढूँढने की उन्हें सिफारिशें लिख दी,,

अपनी मुहब्बत तुझे सुपुर्द कर,
तेरे नाम सारी वहशतें लिख दी,,

खुशबु उड़ाती तेरी शामों के नाम,
बहार की सब नर्मआहटें लिख दी,,

चमकते जुगनुओं की कतार में,
ख़ुशी की मैंने वसीयतें लिख दी,,

किस जुबां से तुझे शुक्रिया दूं मैं,
अपने हाथों में तेरी लकीरें लिख दी,,

तुझे खबर नहीं दी "फरीद" अपने होने की,
फिर भी तेरे नाम साजिशें लिख दी ....

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