ऐसे कपडो का अब तो चलन हो गया
ऐसे कपडो का अब तो चलन हो गया,
जैसे शीश् मै रक्खा बदन हो गया ,,
अब ना सीता मिलेगी ना राधा यहा,
थोडा थोडा सा पेरिस वतन हो गया,,
कैसे बच्चे शराफत से पालूगा मै,
गुण्डा गर्दी का अब तो चलन हो गया,,
रो के सो जाये मॉ बाप भूखे मेरे,
मै तो बच्चो मो अपने मगन हो गया,,
घर मेो बेटी सियानी मेरे हो गई,
सोच कर बू मेरा बदन हो गया,,
बेच कर मैने इमा तरक्की तो की,
मेरी नजरो में मेरा पतन हो गया,,
लोग
आबाद होगे कहा से भला "फरीद",
जान सस्ती हे महंगा कफन हो गया ...
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