Kabhi Hum Un se Kabhi Woh Hum Se "Rooth" Jate Hain,
"Hawa" Kuch Chalti Hai Aisi Ke "Kinare" Choth Jate Hain,,
"Samundar "Ki Gehrayi Se Bhi Hote Hain Jo "Gehray",
Pal Bhar Main Woh "Rishtay" Kyun "Toot" Jate Hain,,
Jin Pe Hota Hai "Bharosa" Apne Aap se Bhar Kar,
Woh Log "Dil" Ki Dunya Kyun "Loot "Jate Hain,,
"Teer" Chalta Hai Jab "Nafrat" Ka Un Ki "Aakhon" Se,
"Dil" "Kaanch" Ke Hote Hain Aksar Toot Jate Hain,,
Bara "Naaz" Tha Mujhe Un Ki Wafaon Par "Farid",
Zara Zara Si "Baat" Par Jo Aksar "Rooth" Jate Hain...
कभी हम उनसे कभी वोह हमसे "रूठ" जाते हैं ,
"हवा' कुछ चलती है ऐसी के 'किनारे" छुट जाते हैं ,,
"समंदर" की गहरायी से भी होते हैं जो "गहरे" ,
पल भर मैं वोह "रिश्ते" क्यूँ "टूट" जाते हैं ,,
जिन पे होता है "भरोसा" अपने आपसे भर कर ,
वोह लोग "दिल" की दुनियां क्यूँ लूट जाते हैं ,,
"तीर" चलता है जब नफरत का उनकी "आखों" से ,
"दिल" "कांच" के होते हैं अक्सर टूट जाते हैं ,,
बढ़ा "नाज़" था मुझे उनकी वफाओं पर " फरीद " ,
ज़रा ज़रा सी "बात" पर जो अक्सर "रूठ" जाते हैं ...
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