Pages

Sunday 15 January 2012


समझो सीधा ना इस कदर मुझ को,
हर हकीकत कि है खबर मुझ को,,

दीन दुनिया से मै भी वाकिफ हूं,
आप समझो ना बेखबर मुझ को,,

कुछ ना मांगूंगा फिर खुदा से तेरी,
दीद हो जायेगी अगर मुझ को,,

नींद आती ना ख्वाब आते है,
तुम सताते हो रात भर मुझ को,,

चॉद के इस हसीन मन्जर से,
कौन देखे है रात भर मुझ को,,

आसरा पा के तेरे पहलू मै,
मौत का अब नही है डर मुझ को,,

जिस्म  "फरीद’’  हो गया मेरा,
तुमने देखा जो इक नजर मुझ को ...

No comments: